एक सामान शिक्षा लागु कराने के बाद ही आरक्षण का विरोध करें

जब तक एक सामान शिक्षा का व्यवस्था नहीं होता तब तक अमीरों के कान्वेंट एवं विभिन्न कोचिंग संस्थानों में लाखों खर्च कर पढ़कर निकलने वाले बच्चो से ग्रामीण इलाके के नाम के वास्ते चल रहे सरकारी एवं सिर्फ फीस बटोरने के लिए खुले ५-७ हज़ार में पढ़ाने वाले शिक्षकों के आधार पर चलने वाले निम्न श्रेणी के प्राईवेट विद्यालयों में पढ़ने वाले गरीबों के बच्चे कभी भी किसी भी प्रतिस्पर्धा में अमीरों से बराबरी नहीं कर सकते। गुणता विहीन शिक्षा के वजह से ग्रामीण क्षेत्र के कक्षा-१० तक के विद्यार्थी यह बताने में असमर्थ हैं कि १/२ और २/३ में कौन बड़ा है? भ्रष्ट व्यवस्था के चलते मुझे लगता है कि किसी भी सरकार के लिए हज़ार सालों में नहीं तो कम से कम सैकड़ों सालों में भी एक सामान शिक्षा का व्यवस्था करना मुश्किल ही नहीं नाममुकिन है। अतः यदि आरक्षण नहीं रहा तो देश का नियत्रण सिर्फ व सिर्फ अमीरों के हाथों में होगा। अतः सरकार की एक सामान शिक्षा दे पाने में असमर्थता के कारण गरीबो को आरक्षण अनिवार्य होना चाहिए ताकि गरीबों का देश के नियंत्रण में भागीदारी हो सके। भ्रष्टाचार मिटाओ सेना वर्ष २०१६ से गरीब सवर्ण के आरक्षण के लिए “सामान्य कोटे से गरीब सवर्ण आरक्षण – ऑन लाइन आंदोलन” के माध्यम से लड़ाई लड़ रही है जिसे केंद्र सरकार ने मान लिया था लेकिन विपक्ष की अड़ंगा के वजह से सुप्रीम कोर्ट में केस चला गया जहाँ से हमारी मांगों पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी। सुप्रीम कोर्ट को मेरे सोच पर मुहर लगाने के लिए आभार।


https://www.jagran.com/editorial/apnibaat-social-justice-got-new-dimension-from-ews-reservation-supreme-court-too-justified-23232067.html

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—डॉ विनय कुमार, पीएचडी, अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं पूर्व सलाहकार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प

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