Archive for January, 2020

बाबा साहेब हिन्दुओ के राम और मुसलमानों के मोहम्मद से ज्यादा पूज्यनीय क्यों?

January 26, 2020

मोहम्मद ने अल्लाह को लालची, भ्रष्टाचारी एवं स्वार्थी बना दिया | मोहम्मद के संविधान, इस्लाम एवं शरीयत के मुताबिक अल्लाह को न मानने वालों को अल्लाह के माध्यम से कत्लेआम का निर्देश दे इस्लाम को एक आतंकवादी संगठन बना दिया | मोहम्मद के मुताबिक अल्लाह ही इंसान से सारी गलतियां (अल्लाह के आदेश के बिना एक पत्ता भी नहीं खरकता) भी कराता है और साथ ही यहाँ व दोजख में सजा भी दिलवाता है | वहीँ, यदि अल्लाह का दिन-रात प्रार्थना करो या बकरी का चढ़ावा चढ़ाओ तो सारे पाप माफ़ कर देता है | मेरा अनुमान है की अल्लाह ऐसा लालची, भ्रष्टाचारी एवं स्वार्थी कतई नहीं होगा |

हिंदुयों के राम ने तो ऐसा संविधान बनाया जिसमे एक इंसान को दूसरे इंसान से दूर कर गुलामी के जंजीर में जकड़ दिया | उसे (शूद्र को ) वेद एवं धर्म के ज्ञान से वंचित किया और इसका उल्लंघन करने वालों के कानो में पिघलता हुआ शीशा डालने तक का आदेश दिया | राम ने तुलसीदास के रामचरित मानस के माध्यम से स्त्रियों और शूद्रों को सही रखने के लिए प्रतारणा तक का भी व्यवस्था दिया और इस तरह से हिंदुयों के राम का संविधान भेदभाव निहित बन गया |

विज्ञानं के मुताबिक विषम परिस्थियों के वजह से बन्दर, मानव में करीब एक लाख वर्ष पहले परिवर्तित हुआ और हज़ारों सालों में बोलने और सोचने के काबिल बना और जिनका डीएनए आज के इंसान के डीएनए से मिलता है | बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर ने वैज्ञानिकता पर आधारित भारत के संविधान का निर्माण किया जिसमे लाख साल पूर्व पाए गए मानव के डीएनए के मुताबिक इंसान में भेदभाव करने वाले संविधान का विरोध कर एक तथ्यों पर आधारित संविधान का निर्माण किया | साथ ही गुलामी का जीवन जी रहे शूद्रों को आज़ादी के साथ आरक्षण का प्रावधान कर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य आदि के समकक्ष लाने का भरपूर प्रयास किया | बाबा साहेब ने वैज्ञानिकता पर आधारित एक ऐसा संविधान दिया जो हिन्दुओ के राम और मुसलमानों के मोहम्मद से बेहतर है | यदि राम और मोहम्मद आज के वैज्ञानिक युग में होते तो शायद वे भी बाबा साहेब के रास्ते पर चलते हुए उनके ही तरह का संविधान दिया होता |

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“प्रेस्टीजियस साइंटिस्ट” अवार्ड क्यों मिला?

January 1, 2020
ताड़ी बड़ा गांव, बलिया, उत्तर प्रदेश में जन्मे और अब अमेरिकी नागरिक डॉ विनय सिंह द्वारा किये गए वैज्ञानिक खोज का “इसरो” एवं “नासा” द्वारा सफल उपयोग कर अति लाभकारी जन कल्याण का काम किया गया है और इसके लिए उन्हें चेन्नई में १५ फरवरी २०२० को प्रेजिडेंट ऑफ़ इंडिया के द्वारा “प्रेस्टीजियस साइंटिस्ट” अवार्ड से नवाजा जाएगा | यह अवार्ड उन्हें चौथे इंटरनेशनल साइंटिस्ट अवार्ड्स ऑन इंजीनियरिंग, साइंस और मेडिसिन के कार्यक्रम में प्रदान किया जाएगा जो चेन्नई में १५ और १६ फरवरी को चलेगा |
 
डॉ विनय सिंह ने बीटेक और एमटेक क्रमशः जी बी पंत विश्वविद्यालय एवं ओस्मानिआ विश्वविद्यालय, भारत तथा पी एच डी कैलफोर्निआ पैसिफिक यूनिवर्सिटी, अमेरिका से किया | वे पिछले ३१ सालों से रॉकेट विज्ञान के खोज में लगे हुए हैं जिसमे से उन्होंने १० साल इसरो, भारत में तथा १६ साल नासा, अमेरिका में बिताये | इनके नाम से ३० शोध पत्र विभिन्न पत्रिकाओं में छप चुके हैं | इनकी मुख्य भूमिका सैटेलाईट की पेलोड संरचना एवं इमेज डाटा प्रोसेसिंग में रही है | जब रिमोट सेंसिंग सैटेलाईट का अति ज्यादा रीज़लुशन वाला कैमरा पृथ्वी का फोटो १,००० किलोमीटर की ऊंचाई से लेता है तो एक सेकंड में इतना ज्यादा डाटा इकठ्ठा हो जाता है की उसे धरती पर भेजने के लिए ट्रांसमिशन लाइन की कैपसिटी कम पड़ जाती है | चूँकि ट्रांसमिशन लाइन की कैपसिटी बढाई नहीं जा सकती है अतः सबसे बड़ा चैलेंज सामने था की एक सेकंड में लिए गए धरती के फोटो को कैसे बिना कोई डाटा खोये हुए ट्रांसमिशन लाइन की कैपसिटी में फिट किया जाए | अतः इसके लिए डॉ विनय सिंह ने डिस्क्रीट वेवलेट ट्रांसफॉर्म पर आधारित एक ऐसे कम्प्रेशन विधि का ईजाद किया जो सैटेलाईट के कैमरे से एकत्र हुए डाटा को दबाकर इतना कम कर देता है की वह डाटा ट्रांसमिशन लाइन की कैपसिटी में फिट हो जाता है और बाद में जब इस डाटा को धरती पर प्राप्त कर लिया जाता है तो उसको डिस्क्रीट वेवलेट ट्रांसफॉर्म की रिवर्स विधि से बड़ा कर ओरिजिनल फोटो बना लिया जाता है | उनका यह अविष्कार अन्य द्वारा किये गए आविष्कार से बेहतर था | अतः इसे हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के माध्यम से सैटेलाईट के पेलोड में लगे कंप्यूटर में फिट कर दिया जाता है | डॉ विनय सिंह ने इमेज डाटा प्रोसेसिंग और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में और भी नए आविष्कार किये हैं और उनके इस जबरदस्त कार्य के लिए जनवरी १९९९ में भारत के कीमती युवा वैज्ञानिक के पुरस्कार से नवाज़ा गया | डॉ विनय सिंह अभी ब्रह्माण्ड में उपस्थित ऐसे ग्रहों का खोज कर रहें जिसका सोलर सिस्टम पृथ्वी के तरह हो ताकि यह पता लगाया जा सके की वहां भी पृथ्वी की तरह जीवन है या कोई ऐसा भी ग्रह है जहाँ ईश्वर की उपस्थिति हो सकती है |