Archive for November, 2022

एक सामान शिक्षा लागु कराने के बाद ही आरक्षण का विरोध करें

November 29, 2022

जब तक एक सामान शिक्षा का व्यवस्था नहीं होता तब तक अमीरों के कान्वेंट एवं विभिन्न कोचिंग संस्थानों में लाखों खर्च कर पढ़कर निकलने वाले बच्चो से ग्रामीण इलाके के नाम के वास्ते चल रहे सरकारी एवं सिर्फ फीस बटोरने के लिए खुले ५-७ हज़ार में पढ़ाने वाले शिक्षकों के आधार पर चलने वाले निम्न श्रेणी के प्राईवेट विद्यालयों में पढ़ने वाले गरीबों के बच्चे कभी भी किसी भी प्रतिस्पर्धा में अमीरों से बराबरी नहीं कर सकते। गुणता विहीन शिक्षा के वजह से ग्रामीण क्षेत्र के कक्षा-१० तक के विद्यार्थी यह बताने में असमर्थ हैं कि १/२ और २/३ में कौन बड़ा है? भ्रष्ट व्यवस्था के चलते मुझे लगता है कि किसी भी सरकार के लिए हज़ार सालों में नहीं तो कम से कम सैकड़ों सालों में भी एक सामान शिक्षा का व्यवस्था करना मुश्किल ही नहीं नाममुकिन है। अतः यदि आरक्षण नहीं रहा तो देश का नियत्रण सिर्फ व सिर्फ अमीरों के हाथों में होगा। अतः सरकार की एक सामान शिक्षा दे पाने में असमर्थता के कारण गरीबो को आरक्षण अनिवार्य होना चाहिए ताकि गरीबों का देश के नियंत्रण में भागीदारी हो सके। भ्रष्टाचार मिटाओ सेना वर्ष २०१६ से गरीब सवर्ण के आरक्षण के लिए “सामान्य कोटे से गरीब सवर्ण आरक्षण – ऑन लाइन आंदोलन” के माध्यम से लड़ाई लड़ रही है जिसे केंद्र सरकार ने मान लिया था लेकिन विपक्ष की अड़ंगा के वजह से सुप्रीम कोर्ट में केस चला गया जहाँ से हमारी मांगों पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी। सुप्रीम कोर्ट को मेरे सोच पर मुहर लगाने के लिए आभार।


https://www.jagran.com/editorial/apnibaat-social-justice-got-new-dimension-from-ews-reservation-supreme-court-too-justified-23232067.html

भ्रष्टाचार मिटाओ सेना से शिकायत करने के लिए निम्न पेज को क्लिक करें: https://vinay1340.wordpress.com/bhrastachar-mitao-sena/


—डॉ विनय कुमार, पीएचडी, अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं पूर्व सलाहकार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प

भारत को ग्लोबल लीडर या विश्व गुरु बताने वाले लोग या मीडिया सफ़ेद झूठ बोलते हैं

November 26, 2022

मैं एक अमेरिकी नागरिक हूँ लेकिन भारत का नमक खाने के कारण भारत का हालत देखकर मेरा जमीर मुझे मजबूरी में लिखने के लिए विवस करता है। भारत को ग्लोबल लीडर या विश्व गुरु बनाने के लिए कम से कम सरकार के प्रत्येक सेवक यानी ग्रामसेवक से लेकर राष्ट्रपति तक में ईमानदारी कूट कूट कर भरनी होगी ताकि न्यायिक एवं कानून व्यवस्था त्वरित न्याय के साथ अमीरों और गरीबों पर एक सामान लागू हो सके साथ ही करीब ५ लाख से अधिक गांवों के स्थायी विकास की व्यवस्था कर हर गांव को विश्वस्तरीय बनाया जा सके। लेकिन बिडम्बना यह है की उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के एक मसहूर ददरी मेला, जिसमे की महान बुद्धजीवी जैसे भारतेन्दु हरिश्चंद्र आदि जैसे दिग्गजों ने सम्बोधित किया था, को देश की सरकार एक विश्वस्तरीय मेला नहीं बना सकी। अतः भारत को ग्लोबल लीडर या विश्व गुरु बताने वाले लोग या मीडिया सफ़ेद झूठ बोलते हैं। ददरी मेला पर नीचे मेरा रिपोर्ट देखें।
https://www.facebook.com/1378551948/posts/10228389817755378/?flite=scwspnss

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बलिया जिले की दुर्दशा देख लड़ने का हिम्मत पस्त हो गया है

November 24, 2022

अमेरकी नागरिक होने के नाते भारत में न मैं वोट दे सकता, न कोई चुनाव लड़ सकता, न कोई खेती बारी वाली जमीन रख सकता फिर भी भ्रष्टाचार मिटाओ सेना के तहत पूर्वांचल के विकास के लिए निःस्वार्थ भाव से सैकड़ों धरना प्रदर्शन किया जिसका पेपर कटिंग आज भी हमारे पास है। लेकिन आज तक बलिया के विकास के नाम पर कुछ कतिपय सडकों को छोड़ दिया जाय तो अघिकतर आप पाएंगे की कुछ कच्ची सडको को पक्की करने का अस्थायी काम हुआ है और इसीसे जनता मदहोस है। बिना सशक्त प्रणाली विकसित किये जिस तरह सरकार ने हज़ारों करोड़ स्वच्छता अभियान पर लुटाये आज उसकी सुध लेने वाला बलिया में कोई अधिकारी या नेता नहीं है । सरकारी सेवा संस्थान जैसे जिलाधिकारी कार्यालय, बलिया न्यायालय आदि पर रोज सेवा लेने के लिए हज़ारों लोग आते हैं लेकिन यहाँ ढंग का कोई एक भी पब्लिक टॉयलेट नहीं जहाँ सफाई में रहने वाला व्यक्ति लघु शंका तक करने की हिम्मत जुटा सके। कतिपय होटलों को छोड़ दें तो पब्लिक से भरी किसी भी छोटी या बड़ी दुकानों में टॉयलेट अनिवार्य करने का किसी ने सोचा तक नहीं। अतः जिले की सड़क पुरुषों का शौचालय है तो जिले के पेड़ और झाड़ियाँ महिलाओं की । हमने और हमारी धर्म पत्नी ने भी खुले सड़क पर लघु शंका कर सरकार के स्वच्छता अभियान का मजा चखा। जगह जगह सड़क पर कचड़ा, बरसात का पानी मंत्रियों के घर में तो जेल और डीएम कार्यालय पानी में। ना सीवर एवं कचड़ा प्रबंधन की व्यवस्था ना कचड़ा एवं पराली को जलाने से प्रदूषित हो रहे वातावरण को प्रदुषण से रोकने की। भ्रष्टाचार इतना की जिले के थानों द्वारा कानून का पालन ना कराने एवं अन्याय के एवज में उगाही धन राशि से बलिया को स्वच्छ बनाया जा सके तो वहीँ अधिकारीयों एवं चुने हुए प्रतिनिधियों का भ्रष्टाचार से अटूट रिश्ता। मुझे भी लगता है की समझदारी इसी में है की जिले के ज्ञानी -विज्ञानी महापुरुषों के तरह अपने स्वार्थ के लिए जीने की आदत डॉल आन्दित एवं प्रफुल्लित जीवन बिताएं। अब मेरी अंतरात्मा भी जिले की दुर्दशा पर झकझोड़ेगी तो उससे द्वन्द कर अपने आवाज़ को अपनी कलम से उतारने से परहेज़ कर्रूँगा क्योंकि अब हमारी हिम्मत पस्त होते हुए दिख रही है।

गन्दगी पाए जाने पर यदि जिले के मंत्री, सांसद, विधायक और डीएम से गन्दगी साफ़ करायी जाय तो हो सकता है की थोड़ी बहुत सुधार की गुंजाइस हो अन्यथा इस भ्रष्ट व्यवस्था में देश ईश्वर के सहारे ही चल रहा है ।

—डॉ विनय कुमार, पीएचडी, अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं पूर्व सलाहकार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प

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गाँवो में एक भी चमचमाता स्कूल नहीं

November 15, 2022

मुझे अपने पैतृक गांव ताड़ी बड़ा गांव, बलिया, उत्तर प्रदेश में प्रवास के दौरान कई गाँवो के विकास का जमीनी हकीकत देखने को मिला। मुझे गाँवो में हो रहा विकास कामचलाऊ लगा और सरकारी खजाने का हज़ारों करोड़ पानी में बहा दिखाई दिया। मैंने पाया की ४ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में करीब दस सरकारी प्राइमरी स्कूल स्थापित किये गए हैं लेकिन ढंग का एक भी नहीं। इमारते जर्जर हैं तो वहीं शौचालय बदबूदार। रख-रखाव का कोई चिंता नहीं। इन दस स्कूलों में वही बच्चे पढ़ रहे हैं जिन्हे शायद एक वक्त स्कूल में खाने की जरूरत पड़ती है। किसी स्कूल में बीस तो किसी में तीस बच्चे पाए गए। वही अमेरिका में ४-वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में एक ही प्राइमरी स्कूल मिलेगा लेकिन यह स्कूल स्कूल-बस एवं सारी सुविधाओं से सुसज्जित एवं कई एकड़ों में फैला तथा २४x७ चमचमाता हुआ मिलेगा जिसमे सैकड़ों बच्चे पढ़ते हुए मिलेंगे और सभी शिक्षक बच्चों के भविष्य के प्रति समर्पित। रख रखाव एवं सफाई की व्यवस्था ऐसी कि आप स्कूल के शौचालय में भी सो सकते हैं। लेकिन यह तभी सम्भव है जब भ्रष्ट व्यवस्था से सरकार मुक्त हो। गाँवो में ऐसे स्कूल का होना तो मुझे सपना जैसा दिखता है। आप की क्या राय है ?
—डॉ विनय कुमार, पीएचडी, अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं पूर्व सलाहकार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प

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https://youtu.be/r9AoFsA6u-k

भ्रष्टाचार ही हर अन्याय की जननी है

November 10, 2022

यदि आप किसी भी अपराध को देखेंगे तो पाएंगे कि उसके पीछे कहीं न कहीं भ्रष्टाचार ही कारण है और भ्रष्ट व्यवस्था या भ्रष्टाचार के कारण ही अन्यायी अन्याय कर बच जाता है लेकिन भ्रष्टयाचारियों के दबाब के कारण भ्रष्ट व्यवस्था से छुटकारा पाना मुश्किल ही नहीं नाममुकिन है। आज ८ साल बाद भी भ्रष्ट व्यवस्था पर चोट पहुँचाने वाले लोकपाल का जिले में कहीं अता पता नहीं है और नोटेबंदी के बाद आंकड़े बताते हैं की भ्रष्टाचार में ७१% की वृद्धि हुयी है लेकिन गोदी मीडिया एवं अपार जन समर्थन के साथ चल रही सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन अब लोगों को यह सोचने का वक्त आ गया है कि देशभक्त बनने के लिए भ्रष्टाचार का खात्मा जरूरी है या हिन्दू मुस्लिम में बंटकर देश का बंटाधार करना।
—डॉ विनय कुमार, पीएचडी, अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं पूर्व सलाहकार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प

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https://youtu.be/5jZW4WSY6Wc

गाँवो के कामचलाऊ विकास से प्रतिवर्ष सरकारी खजाने का हज़ारों करोड़ बर्बाद हो रहा है

November 7, 2022

मुझे अपने पैतृक गांव ताड़ी बड़ा गांव, बलिया, उत्तर प्रदेश में प्रवास के दौरान कई गाँवो के विकास का जमीनी हकीकत देखने को मिला। यदि वास्तव में गाँवो का दीर्घकालिक कायाकल्प करना है तो एक गांव को हज़ार करोड़ रूपये की जरूरत है जो शायद हज़ार सालों में भी नहीं हो पायेगा। मुझे गाँवो में हो रहा विकास कामचलाऊ लगा और सरकारी खजाने का हज़ारों करोड़ पानी में बहा दिखाई दिया। कहीं कहीं पानी के निकास के लिए लाखों खर्च कर बना नाली उजड़ गया है, २-३ साल पूर्व करोड़ों के लागत से बनी सड़के टूट रही है, कहीं २-४ लाख के बजट में किसी स्कूल का रंग रोगन हुआ है तो अंदर से खंडहर है और किसी किसी स्कूल में अंदर से टाइल्स लगा है तो बाहर से खंडहर है, अस्पतालों में इतनी गन्दगी है कि उलटी हो जाय, कही भी ऐसा शौचालय नहीं मिला जहाँ दो नंबर तो क्या एक नंबर भी किया जा सके। कचड़े का ये हालत है की गांवों के सारे तालाब गन्दगी से पट रहे हैं या उसे जलाने से निकले धुएं में सांस लेना मुश्किल हो रहा है। किसी माननीय की मूर्ति लगी है तो उसपर कबूतर टट्टी-पिसाब कर रहे हैं। किसी भी बनी चीज को नई बनाये रखने के लिए रख रखाव का बजट शुन्य है अतः पुनः उसके नव निर्माण में हज़ारों करोड़ का चुना लगेगा। क्या सरकारी खजाने के बर्बादी से कोई लोक सेवक आहत होता है? मुझे एक गांव में एक शिलान्यास मिला जिसे बिजली के खम्भे ने रोका है नहीं तो यह भी ट्रैक्टर के नीचे मसल दिया गया होता। क्या गाँवो का कामचलाऊ विकास कर प्रतिवर्ष सरकारी खजाने का हज़ारों करोड़ बर्बाद करना उचित है? एक बार गंभीरता से विचार करे।

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सरकारी धन के बर्बादी का नमूना

November 6, 2022

नीचे दिए गए समाचार के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के कायाकल्प के लिए ५८ करोड़ रूपये स्वीकृत किये हैं। उत्तर प्रदेश में कुल ७५ जिले हैं। अतः इस हिसाब से प्रत्येक जिले को करीब ७७ लाख रूपये मिलेंगे। हमारे बलिया जिले में करीब १७ खंड हैं। अतः यदि हिसाब लगाए तो हमारे एक खंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कायाकल्प के लिए मिलेगा रूपये लगभग ५ लाख। भ्रष्ट व्यवस्था की भेंट चढ़ यह राशि करीब २ लाख तक ही सतह पर लगेगी। अब इस राशि में क्या कायाकल्प होगा भगवान ही मालिक। यदि इसमें एक दो कमरा बन भी गया तो न इसके उचित रख रखाव का बजट न स्टाफ एवं दवा दारू का अतः कुछ ही दिनों में यह कमरा मवेशीखाना बन जाएगा और इस तरह ५८ करोड़ रूपये की बर्बादी हो जायेगी। आपको यदि दुनिया के विकसित देशों के तर्ज पर एक खंड में चमचमकती हुयी एवं लम्बी समय तक चलने वाली समुचित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था करनी है तो प्रतिवर्ष ५८ करोड़ रूपये का बजट तो केवल एक खंड को ही चाहिए और वह भी सतह पर उतारने के लिए भ्रष्टमुक्त व्यवस्था हो तब। अतः पहले भ्रष्टमुक्त व्यवस्था बनाने के किये लेखपाल से राज्यपाल तक की सम्पति का सारा व्योरा आधारकार्ड से जोड़कर स्टेट ऑफ़ द आर्ट सॉफ्टवेयर द्वारा संचालित कंप्यूटर के माध्यम से आय की प्रतिवर्ष जांच कर कंप्यूटर के माध्यम से ही आय से अधिक सम्पत्ति कमाने वाले लोक-सेवक को बर्खास्त कर उनकी सारी सम्पति जब्त कर ली जाय। यह व्यवस्था लागू होने के बाद ही विकास के बार में सोचा जाय अन्यथा विकास का काम कामचलाऊ होगा और खजाने की बर्बादी होती रहेगी। पैसे के लूट से सिर्फ कुछ ही वर्ग प्रफुल्लित होता रहेगा। सबको उचित न्याय नहीं मिल सकेगा।
—डॉ विनय कुमार, पीएचडी, अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं पूर्व सलाहकार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प
https://fb.watch/grmI5NaCH-/

https://www.livehindustan.com/uttar-pradesh/story-up-primary-health-centers-will-be-rejuvenated-approval-of-58-crore-rupees-7200722.html

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भ्रष्टाचार आधारित विकास देश को गुलामी के तरफ ले जा रहा है

November 3, 2022

साथियों, मैं नगरा ब्लाक के कई गाँवो के विकास का हाल देखकर क्षुब्ध हूँ। मन द्रवित है। हॉल ही में बनी सड़के टूट रही हैं, ९०% शौचालय सतह पर नहीं बने, प्राईमरी स्कूल कबाड़ख़ाने हो गए है तो वहीं सरकारी अस्पतालों में यदि इलाज के लिए कोई जाए तो जिन्दा वापस आएगा की नहीं भगवान् ही मालिक। विकास के नाम पर प्रति माह सरकार के खजाने का हज़ारों करोड़ का चुना लग रहा है और यही कारण है की २०२० में स्विस बैंक में जमा राशि ने पिछले १३ साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। यदि भ्रस्टाचार आधारित विकास ऐसे ही जारी रहा तो भारत के सभी नागरिक ( भगोड़ों को छोड़कर) वर्ल्ड बैंक का गुलाम हो जाएगा। गुलामी से बचने के लिए देश को ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो चीन के तरह भ्रष्ट मंत्रियों को फांसी की सजा दिला भ्रष्टाचारियों में खौफ पैदा कर दे।

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